कांग्रेस के 49 वर्षीय युवा नेता माननीय राहुल गांधी जी बस नाम ही काफी है। राहुल जी एक ज़मीनी और तो और बुनियादी नेता हैं जो बचपन से ही देश के तमाम सामाजिक आंदोलनों में भागीदार रहे हैं।तमाम संघर्षों में भाग लेने वो इटली से अमेरिका तक भी जाते रहे थाईलैण्ड के संघर्षों में तो उनकी प्रमुख भूमिका रही है…

ग़रीबी और अभावग्रस्त जीवन होने के कारण उन्हें कई बार ग़रीबों, दलितों की झोपड़ियों में जाकर खाना माँग कर खाना पड़ा। उनके कुर्ते की जेब भी अक़्सर फटी रहती है। नोटबन्दी के दौरान उन्हें हज़ार दो हज़ार रुपये के लिए भी ATM की भीड़ में धक्का-मुक्की झेलनी पड़ी।

उनके द्वारा सभी देशवासियों को राहुल भैया सम्बोधित करने के कारण अस्सी-नब्बे साल के बुज़ुर्ग भी ख़ुद को युवा महसूस करने लगे हैं।
सन् 2004 में अपने इंग्लैण्ड सत्संग के दौरान एक स्पेनिश आर्किटेक्ट उनके हसमुख व्यक्तित्व के कारण उनकी शिष्या तक बन गयी थी। उनके शिष्यों के क्रांतिकारी दार्शनिक विचारों से भारत के जनमानस में कई बार रिक्टर स्केल पर 9.0 तक के भूचाल तक आते रहे हैं।

भारतीय इतिहास, अध्यात्म, दर्शन, धर्म पर उनकी पकड़ और ज्ञान अद्वितीय है, उनके इसी दर्शन के आधार पर मनमोहन सरकार ने पुरातत्व विभाग से उन्नाव में ख़ुदाई तक करवा डाली थी।

मोदी सरकार का विश्न प्रसिद्ध स्वच्छता अभियान उन्हीं के एक विचार से प्रभावित है – जहाँ सोच वहीं शौचालय। खाट पर चर्चा और गब्बर सिंह टैक्स जैसी अद्वितीय खोजों से वो देश के जनमानस पर छा गए।
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समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र पर उनका ज्ञान कौटिल्य के समकक्ष है – खेत की बजाय आलू बनाने वाली फ़ैक्टरी और आलू डालकर सोना निकालने वाली मशीनों की उनकी थ्योरी ने विज्ञान जगत में हलचल मच दी है। सुना है कि भौतिक शास्त्र के नॉबेल पुरस्कार से उन्हें महज़ एक ग़रीब इण्डियन होने के कारण वंचित कर दिया गया।

राहुल गांधी “जी” को गुड़ की खेती जैसी विस्मयकारी कलाएं अपने पिता से विरासत में मिलीं, अब उनका अपनी किसानी में कटहल की बेल और पुदीने के विशाल वृक्षों पर शोध जारी है।
राहुल गांधी “जी” जनेऊधारी कट्टर कर्मकाण्डी दरिद्र हिन्दू ब्राह्मण हैं, उन्होंने इटली में रोमा देवी और थाईलैण्ड में थाई नाथ की घोर तपस्या की है।पिछले वर्ष जब असम में सुबह मंदिर जाते समय किसी महिला ने उनको रोका-टोका तो उसे और असम की जनता को उन्होंने श्राप दे दिया, श्राप के परिणामस्वरूप असम की जनता आज भाजपा का सुशासन झेलने को मज़बूर है। ज्योतिष का प्रकाण्ड ज्ञानी होने के कारण शुभ दिन बीतते ही खरमास के पहले दिन उन्होंने अध्यक्ष पद जैसा हलाहल पीया। राहुल जी भी ब्राह्मण रावण की ही तरह परम शिवभक्त हैं, अपने गुजरात मेधयज्ञ के दौरान वो नियमित रूप से बीसियों मंदिरों में जाकर नियमित कर्मकाण्ड करते रहे।

अपने पौराणिक चुनाव क्षेत्र अमेठी को विश्वस्तरीय बनाने में राहुल जी एक मिसाल हैं। आज अमेठी की गिनती दुनिया के सबसे बेहतरीन 10 शहरों में है।
राहुल गांधी “जी” का संसद की बहसों में भी अपना एक कीर्तिमान है, कई बार जब वह संसद में बैठकर राष्ट्र चिंतन करते थे तो विपक्षी उनसे जलते हुए उन पर संसद में सोने का आरोप लगाते रहे हैं। अपने कार्यों को तुरंत निपटने के वो सैद्धांतिक प्रतिबद्ध रहे हैं, एक बार तो इसी सिद्धान्त के तहत उन्होंने मंत्री के हाथ से छीनकर प्रस्तावित बिल फाड़कर तुरन्त निपटारा कर डाला था…
एक हिन्दू और ब्राह्मण होने के नाते हमें उनपर मीट्रिक टनों गर्व है… हमें उम्मीद है कि इस देश को उनके रूप में एक कुशल, ज्ञानी, अनुभवी, प्रतापी, जुझारू, संघर्षलीन नेतृत्व मिलेगा जो इण्डिया को दुनिया से भी बाहर ले जाकर तीनों लोकों में अपनी कीर्ति स्थापित करेगा…
थोड़ा लिखा ज्यादा समझें, क्योकि इनकी महिमा अंनत है….आज इतना ही। आपने इस पोस्ट पर अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका धन्यवाद।
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