लिंग परिवर्तन की प्रक्रिया डॉक्टर और उन लोगो के मुताबिक काफी कष्टदायी होती है। इसमें किसी व्यक्ति को कई तरह के ऑपरेशन्स से गुज़रना पड़ता है, जो आपरेशन बिल्कुल भी बाकि आम ऑपरेशन्स की तरह नहीं होता।
‘जेंडर’ और ‘सेक्स’ दोनों अलग चीज़ें होती हैं। ‘सेक्स’ वो है जिसके साथ आप पैदा होते हैं। और जेंडर वो पहचान है जो समाज आपको देता है। अगर कोई इंसान जिन प्राकृतिक अंगों से साथ पैदा हुआ है, उन्हीं के अनुरूप महसूस नहीं करता तो उसे ‘आइडेंटिटी डिसऑर्डर’ होता है। हो सकता है कोई इंसान सेक्स से पुरुष हो पर जेंडर से औरत जैसा महसूस करे।
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सेक्स चेंज ऑपरेशन होता कैसे है?
जो लोग उस ‘सेक्स’ के साथ कम्फर्टेबल नहीं होते जिसमें वो पैदा होते हैं, ऑपरेशन करवाकर अपना लिंग परिवर्तन करवाते हैं।सर्जरी के ज़रिये एक ट्रांसजेंडर के शरीर को इस तरह से बदला जाता है कि वो उसकी सेक्स से जुड़ी चॉइस को मैच करे।
अगर किसी पुरुष को महिला जैसा महसूस होता है, तो उसका ब्रेस्ट इम्प्लांट किया जाता है।साथ ही चेहरे के फ़ीचर्स बदलने के लिए भी सर्जरी की जाती है। प्राइवेट पार्ट बदलने के लिए भी सर्जरी का ही सहारा लेना पड़ता है।
ये सारी सर्जरी पुरुष के लिंग को हटा देने भर पर खत्म नहीं होती. इसमें अंडकोषों को हटाया जाता है, लिंग के उपरी सिरे को हटाकर क्लिटॉरिस का रूप दिया जाता है। लिंग चेंज होने के बाद भी इंसान अपनी सेक्स लाइफ एन्जॉय कर पाए, इसलिए पुरुष के लिंग को प्राकृतिक तौर पर वजाइना जैसा बनाया जाता है।
लिंग परिवर्तन करने से पहले की प्रक्रिया:-
जब कोई अपना सेक्स चेंज करने की सोचता है तो सबसे पहले उसे दो मनोवैज्ञानिकों के पास भेजा जाता है। ये देखने के लिए कि क्या वो वाकई तैयार है। एक बार इस चीज़ का फ़ैसला हो जाए तो उसे ‘रोल प्ले’ करने के लिए कहा जाता है। मतलब दूसरे जेंडर के इंसान की तरह बिहेव करने को बोला जाता है। ये कम से कम तीन महीने चलता है। ये चीज़ उनको आने वाली परिस्तिथियों के लिए तैयार करती है।
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उनको पता चल पाता है कि आगे क्या होने वाला है।
पहली सर्जरी ये रोल प्ले खत्म होने के बाद ही होती है। सबसे पहले चेहरे की प्लास्टिक सर्जरी होती है। फिर ब्रेस्ट हटाए या लगाए (इम्प्लांट) जाते हैं।
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इतना ही काफ़ी नहीं है। लेज़र हेयर रिमूवल से शरीर के बाल हटवाए जाते हैं।ये सिर्फ उस केस में होता है जब कोई आदमी औरत बनना चाहता है।अंत में सर्जरी से आवाज़ को हल्की या पतली किया जाता है। और प्राइवेट पार्ट को बदला जाता है। ऐसा एक बार हो गया तो दोबारा वापस बदला नहीं जा सकता। सारे बदलावों को शरीर में रिफ्लेक्ट होने में एक साल से ज़्यादा का समय लगता है।
ऑपरेशन के बाद हॉर्मोनल थेरेपी चलती है
महिलाओं में एक हॉर्मोन होता है जिसे कहते हैं एस्ट्रोजन। ये उनके शरीर में सारी महिलाओं वाली चीज़ें कंट्रोल करता है। जैसे उनकी पतली आवाज़। उनकी सेक्स करने की इच्छा वगैरह। पुरुषों में जो हॉर्मोन होता है उसे कहते हैं टेस्टोस्टेरोन। सर्जरी के साथ साथ शरीर में ये हॉर्मोन बदलना भी बहुत ज़रूरी है। इसलिए ऑपरेशन के साथ-साथ हॉर्मोनल थेरेपी भी चलती है। पेशेंट को थेरेपी लगातार नहीं लेनी चाहिए। कुछ समय का ब्रेक लेना चाहिए। फिर दोबारा शुरू करनी चाहिए।